विश्व के पहले अनाज बैंक की गाजीपुर शाखा का डीआईजी ने किया उद्घाटन

गाजीपुर। घाटों पर घूमकर भीख मांगने वाली बेसहारा महिलाए एवं उनके बच्चों को भूख से पीड़ित देखकर भला किसका दिल नहीं पसीजेगा। क्योंकि भूख का न कोई विकल्प है और ना ही भूख को स्थगित किया जा सकता है। गरीबी जनित भूख के अलावा आपदा, युद्ध और परिस्थिति जन्य भूख का इलाज किसी सरकार के पास नहीं है। इस समस्या के हल के लिये विश्व के पहले अनाज बैंक की स्थापना विशाल भारत संस्थान द्वारा 13 अक्टूबर वर्ष 2015 को काशी (वाराणसी) में की गई थी।

अनाज बैंक भूख पीड़ितों की मदद के लिए एक संगठित वैज्ञानिक मॉडल बना, जिसकी यूनाइटेड नेशन की संस्था फूड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने भी प्रशंसा की थी। अनाज बैंक ने वाराणसी में कोरोना काल में 100 दिनों तक 1 लाख से अधिक लोगों की अनाज और भोजन देकर मदद की, जिसकी प्रसंशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पत्र लिखकर किया था।

विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित विश्व के पहले अनाज बैंक की गाजीपुर शाखा की स्थापना व उद्घाटन डीआईजी वाराणसी अखिलेश चौरसिया ने सोमवार को शहर के चीतनाथ घाट पर फीता काटकर किया। अनाज बैंक ने भूखमरी के शिकार, निराश्रित, घर विहीन, तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्ता, कुपोषित, मुसहर, नट, धरकार, बांसफोर आदि परिवारों की महिलाओं का पेट भरने के लिये नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पेट भरो योजना की शुरूआत की है। भूख के सवाल पर गम्भीर विशाल भारत संस्थान ने दुनियां का पहला अनाज बैंक खोला जो गरीबी रेखा के अत्यन्त नीचे रहने वालों तक पहुंचेगा और समाज के सहयोग उनका पेट भरने का काम करेगा।

जमा खाताधारकों को अनाज बैंक का ब्याज-

अनाज बैंक में दो तरह के खाता धारक हैं। पहले जमा खाताधारक और दूसरे निकासी खताधारक। कोई भी व्यक्ति 5 किलो अनाज, अपना आधार कार्ड, तीन फोटो देकर अपना खाता खुलवा सकता है। न्यूनतम 5 किलो और अधिकतम चाहे जितना भी अनाज जमा कर सकता है। जमा करने के बदले में उसे आकर्षक ब्याज मिलेगा। 5 से 10 किलो जमा करने वाले को संतोष, 11 किलो से 30 किलो वाले को दुआ, 31 किलो से 50 किलो जमा करने वालो को पुण्य और इससे अधिक जीवन भर जमा करने वाले को मोक्ष ब्याज के रूप में अनाज बैंक से मिलता है। अनाज बैंक में पैसे का कोई लेन देन नही होता है। जमा खाताधारकों के लिए अनाज बैंक पासबुक जारी करता है।

दूसरे निकासी खाताधारक होते है, जिनका सर्वे के आधार पर खाता खोलकर जरूरत के आधार पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। सप्ताह या माह में 5 किलो अनाज वितरित किया जाता है। निकासी खाता खोलने के लिए 3 फोटो, आधार कार्ड एवं परिचयकर्त्ता की जरूरत होती है। निकासी खाता खोलने में विधवा, तलाकशुदा, 70 वर्षीय वृद्धा, दिव्यांग, घाट पर भीख मांगने वाली महिलाओं, बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है। अनाज बैंक दान नहीं देता, बल्कि भूख पीड़ित परिवार को भोजन के अधिकार की गारंटी देता है। अनाज बैंक निकासी खाताधारकों को भी पासबुक जारी करता है, जिसमें उसको मिलने वाले अनाज की मात्रा, तारीख, लेने वाले का वजन आदि अंकित रहता है। अनाज बैंक भूख पीड़ित परिवार की महिलाओं का ही खाता खोलता है।

अनाज बैंक की खासियत है कि यह भूख पीड़ित परिवारों की मदद अनाज उपलब्ध कराकर करता है। अनाज बैंक का नारा है– कोई भी भूखा न सोए…

मुख्य अतिथि अखिलेश चौरसिया ने घाट पर भिक्षावृति करने वाली महिलाओं जैसे मुसहर परिवार की महिलाओं, तलाकशुदा एवं विधवा महिलाओं सहित 23 को अनाज बैंक का पासबुक, अनाज एवं सम्मान के साथ शॉल ओढ़ाया और उनको भूख से मुक्ति की गारंटी दी। अनाज के रूप में दाल, चावल, आटा, मसाला, तेल और साबुन वितरित किया।

घाट पर रहने वाली निराश्रित महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान थी क्योंकि उन्हें भूख से मुक्ति की गारंटी मिल गयी। कभी फाका कसी करने वाला परिवार और उनके बच्चे आश्वस्त हो गये कि उनको अब कभी भूखे नहीं सोना पड़ेगा। अनाज बैंक से निराश्रित महिलाओं, तलाकशुदा महिलाओं को भूख से मुक्ति की गारंटी मिलने के बाद सभी खुश थे।

अनाज बैंक के उद्घाटन के अवसर पर भूख एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या और सामाजिक सहभागिता से समाधान विषयक संगोष्ठी आयोजित की गयी। अनाज बैंक के उद्घाटन के बाद मुख्य अतिथि डी०आई०जी० अखिलेश चौरसिया ने मोहल्ला नियाजी में बृजेश श्रीवास्तव के आवास पर महिलाओं की समस्याओं को संवाद के जरिये हल करने के लिये महिला कचहरी का शुभारम्भ किया।

उद्घाटन के बाद संगोष्ठी में बोलते हुए डी०आई०जी० अखिलेश चौरसिया ने कहा कि विश्व के अनेक देशों में भूख की समस्या है। भूख की समस्याओं को स्थगित नहीं किया जा सकता। भूख पीड़ितों की सेवा मानवीय मानदण्डों का सबसे उच्चतम् आदर्श है। अनाज बैंक भूख पीड़ितों के लिये एक आदर्श मॉडल है, जिससे समाज के अंतिम व्यक्ति के भूख की चिंता की जाती है। कभी–कभी बहुत लोग परिस्थितिजन्य भूख के शिकार हो जाते हैं। उनको भी अनाज बैंक का सहारा मिल सकता है। भूख से मुक्ति के लिये यह रचनात्मक कदम है। व्यक्तिगत जिम्मेदारी के अलावा हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। सामाजिक क्षेत्र में पुलिस वालों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पुलिस सोहदों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे और बेटियों के लिये अनुकूल माहौल बनाएं।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अनाज बैंक के संस्थापक डॉ० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि अनाज बैंक भूख पीड़ितों की सेवा के लिये हमेशा तैयार है। देश पर कोई भी आपदा आती है तो अनाज बैंक पूरी तरह सरकार की मदद करता है। यह भारत का गैर सरकारी संगठित मॉडल है जो भूख पीड़ित परिवार के बच्चों को भूख से तड़पते नहीं देख सकता। अनाज बैंक ने यह साबित कर दिया कि आज भी लोग अपने त्याग और संतोष के जरिये दूसरों का पेट भरना चाहते हैं। प्रारम्भिक आवश्यकता भोजन है। भूख से मौत होने पर हम सदमें में रहते हैं। इस मॉडल से हम दुनियां भर को रास्ता दिखाना चाहते हैं कि बिना सरकारी मदद के समाज के सहयोग से भी पेट भरो आन्दोलन चल सकता है। काशी से शुरू हुआ यह अनाज बैंक दुनियां भर की जरूरत है।

अध्यक्षता करते हुए रामपंथ के धर्म प्रवक्ता डॉ० कवीन्द्र नारायण ने कहा कि सेवा के माध्यम से समाज के वंचित वर्ग को भूख से मुक्ति दिलायी जा सकती है। भूख के लिये कार्य करना पीड़ित मानवता की सेवा है।

संचालन विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद विशाल भारत संस्थान जिला चेयरमैन शंकर पाण्डेय ने दिया।

इस अवसर पर एस०पी० ओमवीर सिंह, अनाज बैंक के डिप्टी चेयरमैन ज्ञान प्रकाश, वेद प्रकाश श्रीवास्तव, कुँअर नसीम रजा सिकरवार, डॉ० नजमा परवीन, नाज़नीन अंसारी, आभा भारतवंशी, नौशाद अहमद दूबे, मृत्युंजय यादव, धनंजय यादव, प्रवीण सिंह, ज्ञान प्रकाश जायसवाल, अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव, राजेश कुमार शर्मा, स्वप्निल राय, डॉ० जगदीश वर्मा, लक्ष्मीकांत मिश्रा, आदित्य प्रकाश जायसवाल, राकेश जायसवाल, प्रिंस पाण्डेय, धर्मेन्द्र जायसवाल, मनोज सिंह, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग मौजूद रहे।

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