दिलदारनगर (गाजीपुर)। उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद ग़ाज़ीपुर में विधानसभा ज़मानियाँ अन्तर्गत ग्राम पंचायत दिलदारनगर स्थित अल दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड रिसर्च सेंटर के संस्थापक, निदेशक एवं संग्रहकर्ता कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ने संग्रहालय के लिए पिछले 20 वर्षों से ऐसे कई पांडूलिपियों, दुर्लभ प्राचीन वस्तुओं का संग्रह कर रखा है। इन्हीं में से 118 वर्ष पूर्व का भारतीय उर्दू भाषा मतदाता सूची को राष्ट्रीय धरोहर के रूप मे संरक्षित कर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2024 में अपना नाम दर्ज करवाया है।
एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से शनिवार को इन्हें कोरियर द्वारा बाक्स सहित सर्टिफिकेट, मेडल, बैज, पेन, वाहन स्टीकर प्राप्त हुआ।
सर्टिफिकेट पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वियतनाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, नेपाल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रधान संपादक एवं संग्रहालय रेकोर दुनियाँ, इंडोनेशिया के उप निदेशक तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स मलेशिया के अध्यक्ष सहित पांच देशों के उच्च स्तरीय अधिकारीगण के हस्ताक्षर युक्त प्रमाण-पत्र प्राप्त हुए हैं। जिस पर 20 मई 2024 को प्रमाणित दिनांक दर्ज करते हुए 06 जुन 2024 दिनांक को प्रकाशित किया गया है।
बता दें कि इस 118 वर्षीय उर्दू भाषा मतदाता सूची दो माह पूर्व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी दर्ज किया है। भारत का नाम गौरवान्वित करने वाले एशिया पटल पर दर्ज कराते हुए इस सम्मान से कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा के शुभचिंतकों, मित्रों सहित ग्रामवासी, क्षेत्रवासी तथा जनपदवासियों, प्रदेशवासियों सहित प्रत्येक भारतीय मतदाताओं, इतिहासकारों, शोधकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई और बधाई देने वालों का ताँता लगा हुआ है।
118 वर्षीय दुर्लभ भारतीय उर्दू भाषा मतदाता सूची :-
नसीम रज़ा बताते हैं कि संग्रहालय में उर्दू भाषा में प्रकाशित मतदाता सूची में सर्वप्रथम सन् 1904-1905 ई.(उर्दू) 1906-1907 ई.(उर्दू) 1918-1919 ई.(उर्दू) एवं 1945 ई. (हिन्दी, उर्दू) के कुल 5 मतदाता सूची सुरक्षित किए गए हैं। उर्दू मतदाता सूची ब्रिटिश शासन काल के उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर के परगना, तहसील वर्तमान विधानसभा ज़मानिया क्षेत्र का है। प्रत्येक सन् के मतदाता सूची में सिर्फ 50 पुरुषों के नाम अंकित किए गए हैं। तब इस तहसील में कुल 50 वोटर हुआ करते थे और उन्हीं वोटरों में से 4 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। बाकी 46 सदस्य उन 4 प्रत्याशियों को मतदान के जरिए चुनाव करते थे।
हार जीत के उपरांत चुने गए एक मेंबर ‘लोकल बोर्ड मेंबर’ कहलाते थे जो क्षेत्र के विकास के लिए काम करते थे। आजादी से पूर्व वर्ष 1900 ईस्वी में तहसील क्षेत्र के विकास के लिए लोगों का चुनाव किया जाता था। मतदाता सूची तैयार करने के लिए क्षेत्र के हर गांव से तीन-चार मानिंद सम्मानित लोगों का चयन किया जाता था। इस तरह कुल 50 लोगों की सूची तैयार की जाती थी इन्हीं में से उनकी योग्यता के अनुसार चार लोगों को उम्मीदवार बनाया जाता था। उसमें से चयनित लोकल बोर्ड प्रत्याशी ही क्षेत्र के विकास के लिए अपनी समस्याओं को जिला बोर्ड में रखते थे।
इस मतदाता सूची में क्षेत्र के जमींदारों एवं मुखियाओं तथा सम्मानित व्यक्ति को रखा जाता था। जो सरकार को लगान अथवा कर जमा करते थे। उन्हीं लोगों को वोट देने का अधिकार था। यह मतदाता सूची कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ख़ाँ के अनुसार उनके पूर्वजों से प्राप्त हुआ है। जिसमें इनके परिवार के चार पूर्वज ज़मींदारों सहित दादा नसीरुद्दीन ख़ाँ परदादा मंसूर अली ख़ाँ आदि ज़मींदारों के नाम अंकित है।
अंग्रेजों ने वर्ष 1857 के बाद लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कानून पारित किया कुछ वर्षों बाद वर्ष 1884 में इसे पूरी तरह से लागू कर दिया गया। इसका उपयोग स्थानीय विकास के लिए किया जाता था। स्थानीय समस्याओं के निवारण के लिए कमेटी का चयन किया जाता था। इस सूची में वही लोग सदस्य बनाए जाते थे जो करदाता होते थे। चयनित सदस्य स्थानीय मुद्दों को उठाकर उनका निवारण करते थे। हालांकि इसमें संशोधन के बाद पहली बार इलेक्शन एक्ट 1909 में पारित हुआ था इसके बाद बदलते समय के साथ लगातार इसमें संशोधन भी होते रहे।
उर्दू भाषा में मतदाता सूची की सन् एवं संख्या :-
सन् 1904-1905 ई.(उर्दू भाषा) संख्या 1
सन् 1906-1907 ई.(उर्दू भाषा) संख्या 1
सन् 1918-1919 ई.(उर्दू भाषा) संख्या 1
सन् 1945 ई. (हिन्दी, उर्दू भाषा) संख्या 2
नोट– उपरोक्त सभी भारतीय मतदाता सूची ब्रिटिश शासन काल के हैं।