वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजे गये सृष्टि के रचयिता व शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा

जमानियां (गाजीपुर)। विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर श्रद्धालुओं ने रविवार को धूमधाम से व श्रद्धापूर्वक सृष्टि के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा का भजन, कीर्तन व पूजन किया। विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न औद्योगिक संस्थानों, कल कारखानों, दुकानों, रेलवे स्टेशन, विद्युत उपकेंद्रों आदि में विश्व के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा का चित्र स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजन किया गया। वहीं क्षेत्र के कई व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर हरिकीर्तन का आयोजन किया गया।

विश्वकर्मा जयंती पर सुबह से ही लोग अपने मशीनरी कलपुर्जो की साफ सफाई करने में जुटे रहे। तत्पश्चात श्रद्धा भाव से भगवान विश्वकर्मा का पूजन आरती सम्पन्न कर प्रसाद वितरण किया। वहीं स्टेशन बाजार के बड़ेसर नहर मोड़ के पास स्थित विश्वकर्मा मंदिर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन हवन सम्पन्न किया गया। इसके बाद प्रसाद वितरण कर भंडारे का आयोजन किया गया।

विश्वकर्मा जयंती का महत्व

हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा आराधना की जाती है। इसे विश्वकर्मा जयंती व विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है, साथ ही भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर भी माना जाता है।
मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन घर, दुकान या फैक्ट्री में लोहे के औजारों, यंत्रों, अस्त्र शस्त्र और मशीनों की पूजा की जाती है ताकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा से मशीन व यंत्र वर्ष पर्यन्त सही से कार्य करे और कार्य व कारोबार में उन्नति हो।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्य और ऋग्वेद में होता है।भगवान विश्वकर्मा ने ही अस्त्र-शस्त्र व रावण की सोने की लंका से लेकर श्री कृष्ण की द्वारिका तक का निर्माण किया है।

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