जमानियां (गाजीपुर)। विजयादशमी के दिन रावण दहन होने के बाद रविवार की रात 9 बजे स्टेशन बाजार के गांधी चौक में रामलीला समिति द्वारा भरत मिलाप का आयोजन किया गया।
इस दौरान प्रभु श्री राम रावण जब वध तथा 14 वर्ष का वनवास के बाद लक्ष्मण, सीता, हनुमान व सुग्रीव आदि के साथ पुष्पक विमान से वापस अयोध्या के लिए प्रस्थान कर देते हैं। रास्ते में प्रभु श्री राम भारद्वाज मुनि के आश्रम पर विश्राम करते हैं। तथा अपने परम भक्त श्री हनुमान जी को सीता व लक्षमण के साथ स्वयं के अयोध्या आने का संदेश देने के लिए अपने भाई भरत के पास भेजते हैं।
उधर अयोध्या में भरतजी अपने बड़े भाई प्रभु श्री राम का चरण पादुका सिंहासन पर विराजमान करके उनके वियोग में अपने प्राण की आहुति देने की तैयारी करते हैं तभी पवन पुत्र हनुमान जी भरत के पास पहुँच जाते हैं और उन्हें रोकते हुए अयोध्या में प्रभु श्रीराम के आने का संदेश देते हैं। भरत अपने बड़े भाई श्री राम के आने की सूचना पाते ही अपने कुलगुरु वशिष्ठ, भ्राता शत्रुघ्न के साथ रथ पर सवार होकर अयोध्या से श्री राम से मिलने भारद्वाज मुनि के आश्रम के लिए प्रस्थान कर देते हैं।
वहां पहुंच कर भरत शत्रुघ्न दोनों भाई भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर पहुंचकर श्री राम के चरणों में गिर पड़ते हैं। प्रभु श्री राम ने भरत को उठाकर अपने गले से लगा लेते हैं और चारों भाई आपस में मिलते हैं। श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाइयों के मिलन का मंचन देखकर उपस्थित महिलाएं पुरुष भावविभोर हो उठे और जय श्री राम जयकारे लगाने लगे। इसके बाद प्रभु श्रीराम के राजगद्दी का मंचन किया गया और श्रीराम आरती कर रामलीला मंचन का समापन किया गया।